Tuesday, March 8, 2011

New Hindi Font Sex Story हवाई जहाज मे चुदाई प्रेषक – विक्की कुमार

हवाई जहाज मे चुदाई
प्रेषक – विक्की कुमार

सभी पाठको को मेरा प्यार भरा नमस्ते. हर व्यक्ती की जिन्दगी मे कुछ ऐसे
हसीन पल आते हैं, जिन्हे वह याद कर प्रसन्नता का अनुभव करता है. ऐसा ही
एक खुशनुमा अनुभव मैं आपके साथ बांटना चाहता हुं.

मै एक कम्पनी के अन्तर्रराष्ट्रिय विभाग मे मार्केटिंग का कार्य देखता
हुं, हालांकि मे एक इन्जीनियर हुं, किन्तु मुझे घुमना फिरना व नये नये
लोगो से मिलना बहुत अच्छा लगता है, अतः मैने जीवन यापन के लिये
मार्केटिंग का कार्य पसन्द किया. इस कम्पनी के पहले मै जिस कम्पनी मे था,
उसके कार्य से मैने पुरा हिन्दुस्तान कई कई बार घुमा चुका था, अतः उसमे
मुझे बोरियत होने लग गयी थी. अब मै कुछ नया चाहता था, जब मुझे इस नयी
कम्पनी मे मुझे अन्तर्रराष्ट्रिय मार्केटिंग विभाग मे आफर मिला तो मै
बहुत खुश हुआ कि चलो दुनिया देखने को मिलेगी. अल्प समय मे ही मैने अपने
बास को अपने बेहतरीन कार्य से खुश कर लिया, उसके फलस्वरुप मै अब तक
दुनिया के सभी महाद्वीपो मे ३५ से ज्यादा देश घुम चुका हूं. कुल मिलाकर
एक शानदार जिन्दगी जी रहा हुं.

लगभग तीन वर्ष पुर्व एक ऐसी यादगार घटना हुई, जो मै कभी भुल नही सकता
हुं . हुआ यह की मेरा एक कार्य के सिलसिले मे बर्लिन जाने का काम पडा, तो
मैने अपना विमान नई दिल्ली स्थित इन्दिरा गान्धी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट से
ही लिया. हर बार विदेश आते समय मै एक ही तरीका अपनाता हुं, कि इस किसी भी
देश जाना होता है तो मै यात्रा के मध्य मे एक बार अपनी फ्लाईट ट्रान्सफर
जरुर करता हुं, ताकी उस नये देश मे रुक कर उस नगर को भी देखता चलुं. इस
प्रकार एक नये देश, नई सन्सकृती को लगभग निशुल्क देखने का मौका मिल जाता
है. इस बार यदि मै चाहता तो मे बर्लिन जाने के लिये जर्मन एयर लाइन
लुफ्तहन्सा से भी जा सकता था, लेकीन मेरा मन तुर्की के खुबसुरत शहर
इस्तन्बुल को देखना का हो रहा था, अतः मैने अपना टिकट टर्कीश एयर लाईन से
बुक कराया ताकी मै अपनी इस्तन्बुल होकर बर्लिन जा सकुं.

इस्तन्बुल के लिये मेरी उडान का समय सुबह के चार बजे के था, किंतु मै
रात लगभग बारह बजे ही एयरपोर्ट पहूंच गया क्योंकि होटल मे मुझे नींद नही
आ रही थी तो मैने सोचा की इससे तो एयरपोर्ट पर ही चलकर टाईम पास करंगा,
क्योंकि वहां का नजारा बहुत रंगीन होता है. मै एक जगह बैठ कर देशी विदेशी
लडकियो को देख कर नयन सुख का आनंद ले रहा था. यदि कोई लडकी पसंद आ जाती
तो उसका चक्षु चोदन भी कर लेता था, अब बैठे बैठे और कर भी क्या सकता था.
नई दिल्ली से इस्तन्बुल का यात्रा समय लगभग आठ घंटे का था. अब इंतजार
करते करते मै भगवान से यही खेर मना रहा था कि पडोस मे कोई जवान विदेशन
बिठा देना. लेकिन मेरे पुराने अनुभवो को देखकर ऐसा लगता था कि, हो सकता
है कि कोई सत्तर वर्ष की देशी बुढिया नही आ जाये. लेकिन समस्या यह थी की
यहां मेरी कोई मर्जी नही चल सकती थी, क्योकिं बोर्डींग पास बनाने वाले
लोगो से तो मेरी कोई जान पहचान तो थी नही.

तभी मेरे दिमाग मे एक आईडिया आया. अन्तर्रराष्ट्रिय प्लेन छुटने के लगभग
तीन घंटे पहले एयर लाइन के काउंटर शुरु हो आते है. तो मै करीब एक बजे
टर्कीश एयर लाईन के काउंटर के पास मे एक तरफ हट कर खडा हो गया, ताकी उस
प्लेन से जाने वाले यात्रीयो पर नजर रख सकुं. लगभग पोने घंटे तक खडे रहने
के बाद मेरी हिम्मत भी जवाब देने लगी क्योकि मेरी मनपसन्द की कोई लडकी या
औरत अकेली आती नहीं दिख रही थी. मै निराश हो चला था की, तभी अचानक मेरा
दिल व दिमाग दोनो की घंटिया हिलने लग गयी. एक बेहद खुबसुरत ब्लांड विदेशन
लाईन मे लगने की और अग्रसर हुई, तो मैने भी एक पल गवांए, बगैर उसके पिछे
खडा हो गया क्योंकि एक सेकंड की देरी का मतलब था कि, उसके और मेरे बीच मे
किसी ओर का आकर खडे हो जाना. अब वह गौरी चिठ्ठी विदेशन ठीक मेरे आगे
लाइन खडी थी, मैने सोचा की अब कैसे उसका ध्यान मेरी तरफ आकर्षित कर उससे
दोस्ती का सिलसिला शुरु करु, लेकिन उसका ध्यान तो आगे की तरफ था, वह
पिछे पलट कर नही देख रही थी.

लगभग दस मिनट के बाद ऐसे ही लाईन आगे खिसकी तो मैने अपनी सामान वाली
ट्राली से उसे हल्की सी टक्कर मार दी, तो उसने पलट कर पिछे देखा तो मैने
उससे माफी मांग कर कहा आपको चोट तो नही आई, यह सब मेरी गलती से हुआ है.
उसने भी कहा नही कोई बात नही, मुझे चोट नही लगी है. उसके बाद मैने उससे
कहा कि आप मेरे सामान का ध्यान रखना, मै इमिग्रेशन के फार्म लेकर आता
हुं, क्या मैं एक फार्म आपके लिये भी एक ले आउं. तो उसके हां करने पर
उसके लिये भी एक फार्म लेकर आ गया. अब उसके पास लिखने के लिये पेन नही था
अतः मैने उसका यात्रा विवरण उससे पुछकर इमिग्रेशन फार्म मे भरा तो पता
चला कि उसका नाम क्रिस्टीना है और वह फ्रेन्च है, और वह नई दिल्ली से
इस्तन्बुल होकर पेरिस जा रही है. फार्म भरने के दौरान मेरी उससे थोडी जान
पह्चान तो हो ही चली थी कि इतने मे उसका नम्बर आ गया था, जब तक उसको
बोर्डीग पास इश्यु हुआ तब तक मै यही खेर मनाता रहा की उसके पास की सीट
खाली हो. जैसे ही मेरा नम्बर आया तो टिकट काउंटर पर खडी आफिसर से मैने
कहा की, कृपया मेरी सीट क्रिस्टीना के पास वाली ही देना, तो उसने पुछा की
क्या आप साथ मे हो तो मैने कहा हां. उसने भी ज्यादा पु्छ्ताछ नही करी
क्योंकि शायद उसने हम दोनो को बात करते हुए देख लिया था. मुझे यह तो पता
चल गया की क्रिस्टीना की सीट खिडकी वाली है, और मेरी उसके पास बिच वाली.
अब समस्या मात्र कार्नर मे गळी वाली सीट के यात्री की थी, मैने सोचा अब
तहां तक ठीक हुआ है, शायद आगे भी अच्छा ही होगा.

अब प्रफुल्लीत मन से अपना सामान जमा करा कर व बोर्डींग पास लेकर
क्रिस्टीना को ढुंढने दौडा, हालांकी मुझे पता था कि वह कहीं नही जा रही,
आखिरकार उसे मेरे पास ही तो बैठना है, लेकिन मेरा बावरा मन एक भी पल नही
गवांना चाहता था. मुझे वह आगे ही खडी मिल गयी, वह इमिग्रेशन काउंटर ढुंढ
रही थी कि मुझे देखकर खुश होती हुई बोली अब किधर से आगे जाना है. मैने
कहा चलो मेरे साथ, हम फिर इमिग्रेशन लाइन मे खडे हो गये, मात्र ५ मिनट मे
ही हम अपने पासपोर्ट पर ठप्पा लगाकर, फिर अपनी सिक्युरिटी चेकींग के बाद
अंदर हो गये. अब भी हमारे पास एक घंटा और बाकी था. मैने उसे काफी का आफर
दिया, तो उसने भी खुशी से स्वीकार कर लिया क्योकि रात के तीन बज चुके थे,
और थकान हो चली थी.

अब हम लाउंज के अन्दर बने एक काफी हाउस मे बैठे थे. क्रिस्टीना ने अपने
बारे मे बताया कि वह एक आर्टीस्ट है, पेन्टींग बनाती है, और पेरीस मे
रहती है. वह अभी मात्र तीन दिन पहले ही दिल्ली आई थी, यह उसकी भारत की
पहली यात्रा थी. वह एक दिल्ली मे लगी अन्तर्रराष्ट्रिय एक्जीबिशन मे
फ्रान्स का प्रतिनिधीत्व करने के लिये आई थी. कल वह इस्तन्बुल पहुंचने के
बाद पेरीस के लिये अगली फ्लाईट लेकर चली जायेगी. उसे दुख था की वह दिल्ली
के अलावा भारत मे कोई ओर शहर नहीं घुम पायी. उसकी ताजमहल देखने की बहुत
इछ्छा थी. काफी पीते पीते हमारी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी. मै क्रिस्टीना
के फीगर के बारे मे आपको ही भुल गया. वह इतनी खुबसुरत थी जैसे कोई माडल
हो, उम्र लगभग तीस वर्ष एकदम संगमरमरी गौरी चमडी, जैसे नाखुन गढा दो तो
खुन टपक जायेगा, ब्लांड (सर पर गोल्डन कलर के लम्बे बाल), अप्सराओ जैसा
अत्यन्त खुबसुरत चेहरा, बडी बडी नीली आंखे, इनमे डुबने को दिल चाहे, तीखी
नाक, धनुषाकार सुर्ख गुलाबी रंगत लिये हुए औंठ, अत्यन्त मनमोहक मुस्कान
जो सामने वाले को गुलाम बना दे, लम्बाई लगभग पांच फीट छह इंच, टाईट जींस,
लो कट टा्प जिसमे क्लीवेज साफ दिखाई रहे था. उपर से एक लाईट वुलन जर्सी
क्योकि सर्दियो का वक्त था. ओह क्षमा करे मै, खास बात तो बताना ही भुल
गया की उसके स्तन ३४, कमर २६ और गांड ३६ ईंची थे. इन सब बातो का सारांश
यह निकलता था कि उसे पहली बार देखने पर किसी भी साधु सन्यासी का लंड भी
दनदनाता हुआ खडा होकर फुंफकारे मारने लगे. सोने पर सुहागा यह की वह एक
शानदार जिस्म की मालिक होने के साथ साथ ईटेलिजेंट भी थी, क्योंकी उसका
जनरल नालेज भी बहुत अच्छा था.

अब काफी पीने के बाद प्लेन मे इन्ट्री करने वाले गेट की और चले, तभी
रास्ते मे एक बुक शाप देखी, तो मेरे दिमाग मे एक आईडीया आया, मैने
क्रिस्टीना से कहा कि, तुम्हारे जैसा आर्टीस्ट जब इण्डीया आयी है, तो मै
अपने देश की तरफ से तुम्हे एक गिफ्ट देना चाहता हुं, तो उसने पुछा की
क्या दोगे. तो मैने कहा की अब तुम आर्टीस्ट हो तो निश्चित रुप से तुम्हे
उसी प्रकार की गिफ्ट ही दुंगा. फिर उसे लेकर मै बुक शाप मे घुसा, और
पेंटींग की कुछ किताबे देखी, लेकीन मेरा मन तो उसे वात्सायन की विश्व
प्रसिद्ध कामसुत्र की पेंटींग की किताब देने का था. फिर मैने कामसुत्र
पर आधारित २ – ३ किताबे छांटी और उसे दिखाई, की क्रिस्टीना यह भी विश्व
प्रसिद्ध है, क्या तुम इसके बारे मे जानती हो, तो वह नाम देखकर चहुंकी और
बोली, हां मैने इसका नाम सुना है, पर कभी पढी नही है, और मै इसे लेना
पसंद करूंगी. आखिरकार मै भी तो यही चाहता था. मैने २८०० रुपये देकर बुक
खरीद ली. हालांकी विदेशी लोग थोडॅ उन्मुक्त होते ही है, और क्रिस्टीना तो
एक आर्टीस्ट भी थी, अतः मै कोई गलत फहमी नही पाल सकता था, की वह पट गयी
है. हां इसके जगह कोई देशी लडकी होती, और उसे अगर मैने कामसुत्र की किताब
दी होती तो शायद दुसरी बात होती. उसके इस प्रकार की गिफ्ट स्वीकार करने
का मतलब ही यही होता की वह मेरे साथ बिस्तर पर लेटने को तैयार है.

अब प्लेन मे प्रवेश करने का समय भी हो चला था, तो हम अपने निर्धारित गेट
तक आ पहुंचे, तब क्रिस्टीना ने पुछा की तुम्हारी सीट नम्बर क्या है,
क्योंकि मैने उसे यह नही बताया था की हम दोनो की सीट आसपास है. मैने दोनो
के बोर्डींग पास मिलाकर चेक करने का नाटक किया, और बताया की हम दोनो साथ
साथ ही बैठेंगे, तो उसने खुशी जाहिर की. थोडी देर बाद हम प्लेन के अंदर
थे. हमारी सीट थोडी प्लेन के पिछले हिस्से मे थी. बोईंग प्लेन की एक लाइन
मे कुल १० सीट थी, दोनो तरफ खिडकियो की तरफ तीन – तीन व बीच मे चार सीट
थी. अब सबसे पहले खिडकी की तरफ क्रिस्टीना बैठी, फिर उसके पास वाली सीट
पर मैं, व मेरे बांए तरफ की फिर गलियारे वाली सीट के अलवा बीच वाली चारो
सीटे भी खाली ही पडी थी. सिर्फ उस पार खिडकी की तरफ एक बुजुर्ग दम्पत्ती
बैठे थे. उस दिन भीड कम थी. अब तक तो सब कुछ मेरे हिसाब से ही हो रहा था.

अब तक सुबह की चार बज चुकी थी और उडान शुरु हुई, कुछ ही मिनटो मे ही
दिल्ली की लाईटे दिखना ओझल हो गयी. क्रिस्टीना बातुनी किस्म की लडकी थी,
अतः मुझे उसके साथ दोस्ती करने के लिये बहुत मेहनत नही करनी पडी. मैने
सोचा बाते करते करते तो अभी समय निकल जायेगा, और मै हाथ मलता रह जाउंगा.
तो मैने फिर उसे कामसुत्र की याद दिलाई की, यह वात्स्यायन द्वारा करिब दो
हजार वर्ष पहले लिखी गयी थी, और यह पेंटींग तकरीबन पिछले ४०० से ६००
वर्षो के दौरान बनाई गयी थी. इतना कहते ही उसके अंदर का आर्टीस्ट जाग
उठा, और उसने कामसुत्र की किताब का पेकेट खोल लिया. चुंकी कामशास्त्र
मेरा पढा हुआ था, अतः उसे समझाने मे कोई विशेष परेशानी नही हुई. वह बडे
इन्ट्रेस्ट से सुनती रही, और पेटींग भी देखती रही. हालांकी कामशास्त्र के
बारे मे लोगो को गलत फहमी है की वह पुरी किताब ही स्त्री पुरुष सम्भोग के
बारे मे लिखी हुई है. उसमे ज्यादातर चेप्टर तो मानव जीवन व सामाजिक
व्यवहार के बारे मे लिखे हुए है. इसमे मात्र एक ही चेप्टर ही सम्भोग कला
और विभीन्न आसनो के बारे मे है. तो प्लेन मे मेरी कामशास्त्र की क्लास चल
रही थी. इसी दौरान मैने हम दोनो की सीटों के बीच लगा हुआ हत्था (आर्म
रेस्ट) खडा कर कमर वाले हिस्से की तरफ चिपका दिया ताकी हम दोनो के बीच की
दुरी खत्म हो जाये. अब थोडी ही देर मे बातचीत करते हुए वह इतनी नजदीक आ
चुकी थी की होले होले उसका जिस्म मुझे छुने लगा था. एक तरफ तो कामसुत्र
की सम्भोग करती हुई पेंटीग्स और दुसरी तरफ उसके गोरे जिस्म का स्पर्ष,
मेरा लण्ड तो बिलकुल नब्बे डिग्री पर खडा होने लग गया. पर मै बहुत सम्हल
कर बैठा था की कही मेरी किसी छोटी गलती से वह नाराज ना हो आये.

तब तक प्लेन लगभग ३५,००० फीट की उंचाई तक पहुंच चुका था, फिर खुबसुरत
तुर्की एयर होस्टेसो ने लजीज खाना परोसा. खाना खाने के बाद एयर होस्टेस
भी सबको औढने के लिये कम्बल जैसी मोटी शाल दे कर चली गयी. अब तक लोग बाग
एक मुवी देख चुके थे, अतः थक कर धीरे धीरे अंदर की लाईटे बंद होने लगी,
क्योंकी यात्री रात भर के जगे होने के कारण थके हुए थे. फिर एक दम अंधेरा
हो गया. अब क्रिस्टीना ने भी शाल निकाली और ओढ कर बैठ गयी, और मुझसे बोली
की अब नींद आ रही है, मै थोडी देर झपकी लुंगी, मैने जी.पी.एस. मानिटर पर
देखा की हमारा विमान अफ्गानिस्तान की पहाडीया क्रास कर इरान की सीमा मे
प्रवेश कर रहा था, और विमान के इस्तंबुल पहुंचने मे पांच घंटे का समय था.
मैने भी उसे गुड नाईट कहा, हालांकी मेरी इच्छा थी की हम बैठे बैठे बाते
करते रहे क्योंकि पता नही यह समय बाद मे वापिस आयेगा या नही. हालांकी
मुझे पता नही था की मै तो सिर्फ नाश्ते पानी की सोच रहा था, लेकिन कहते
हैं कि उपरवाला किसी को भुखा नही सुलाता है, ठीक उसी प्रकार उसने मेरे
लिये ३६ पकवान लगी हुई थाली का अरेंजमेंट कर रखा है. तो निश्चित रुप से
जमीन से ३६००० फुट की उंचाई पर तो उपर वाला याद आयेगा ही.

अब विमान मे लगभग सम्पुर्ण अंधेरा ही था, क्योंकि विमान के भीतर की
बत्तिया बंद थी, दुसरी और एयर होस्टेस आकर विन्डो भी बन्द कर गयी थी,
हालांकि बाहर अभी भी अंधेरा था क्योंकि जैसे जैसे हम पश्चिम की ओर जा रहे
थे, तो हमे अंधेरा ही मिल रहा था, क्योंकि भारत मे सुर्य पहले उगता है,
और पश्चिम मे हमारे बाद. कुल मिलाकर विमान मे एकदम सन्नाटा छाया था, कही
कही से खर्राटे की आवाज आ रही थी. अब चुंकी मैने हम दोनो की सीट के बीच
का हत्था (आर्म रेस्ट) हटा दिया था, अतः हम दोनो के बीच कोई दुरी नही थी.
अब थोडी ही देर मे क्रिस्टीना निंद मे झोंके खाती हुई मेरे दाहिने कन्धे
पर सिर टिका कर सो गयी, उसकी जांघे पहले से ही मेरी जंघो से सटी हुई थीं.
हमारी सीट के सामने लगा हुआ जी. पी. एस. सिस्टम बता रहा था की बाहर का
तापमान माईनस ६५ डिग्री है, लेकिन मेरे अंदर तो भयानक आग लगी हुई थी. लग
रहा था उस वक्त की मेरे भीतर का तापमान १००० डिग्री से भी अधिक होगा.
मेरा दिल बहुत तेज गती से धडक रहा था, मुझे लग रहा था कि कहीं इसकी धडकन
की आवाज पुरे विमान मे नही गुंज रही हो. अब मैने सीट के सामने लगा छोटा
सा विडीयो मानिटर पर चल रही इंगलीश मुवी भी बन्द कर दी क्योकि उससे भी
हल्का प्रकाश आ रहा था.

अब क्रिस्टीना का सिर मेरे कंधे से फिसलने लगा, मैने अपने हाथ का सहारा
देकर उसे रोकने की सोचा, पर यह डर लगा की कही इसकी निंद खुल गयी तो, हो
सकता वह मेरे कन्धे से अपना सिर हटाकर दुसरी ओर खिडकी की तरफ नही कर
लेवे, तो यात्रा का सारा मजा ख्रराब हो जायेगा. अब मुझे लगा की यदि मैने
क्रिस्टीना के सिर को नही सम्हाला तो उसकी निंद खुल आयेगी. अब मैने होले
से अपने दाहिने कन्धे से उसका सिर मेरे सिने की तरफ लुडकने आने दिया, और
उसे अपने बाये हाथ के सहारे से बहुत धीरे धीरे से निचे अपनी गोद की और ले
आने लगा. इसी दरम्यान एक बार मैने उसके कान मे हल्के से बोला क्रिस्टीना
यदि निंद आ रही हो तो आराम से सो जाओ, तो वह कुनमुना कर बोली मुझे बहुत
निंद आ रही है, सोने दो. अब मैने अपनी बांयी तरफ की गलियारे की तरफ की
सीट का हत्था भी उपर उठा कर सीट की बेक से मिला दिया. इस प्रकार अब मैने
तीनो सीटों को मिलाकर एक लम्बी सीट बना ली. अब मै धीरे धीरे अपनी बायीं
सीट की तरफ खिसक आया, और अपने साथ क्रिस्टीना को भी आहिस्ता से अपने साथ
ले आया. अब मै सबसे बायी सीट पर बैठा थ, और क्रिस्टीना गहरी निन्द मे
आराम से तीनो सीट पर लेटी हुई थी, क्योंकि उसका सिर अब मेरी गोद मे था.
इतना आहिस्ता आहिस्ता करने मे मुझे लगभग १५ मिनट का वक्त लग गया, क्योंकि
मै नही चाहता था की उसकी निन्द मे कोई खलल पडे और वह उठ कर बैठ जाये.

अब मै खुश था की एक विदेशन सुन्दरी मेरी गोद मे लेटी हुई है. अब उसका सिर
मेरे लंड पर टिका हुआ था, तो मुझे ऐसा लग रहा था कि, उसकी हालत ठीक वैसी
ही होगी जैसे की महाभारत युद्ध मे बाणों की शैया पर लैटॅ हुए भीष्म की
हुई होगी. मुझे लग रहा था कि मेरा खडा लंड उसके सिर मे बिलकुल बांण की
तरह चुभ रहा होगा. एक बार देखने मे तो ऐसा लग रहा थी की वह गहरी निंद मे
होगी. अब लगभग पांच मिनट का इन्तजार करने के बाद मैने अपना दांया हाथ इस
प्रकार से उसके पेट की और रखा की ऐसे किसी छोटे बच्चे को सीट से नीचे नही
गिर आये, तो सम्हालने के लिये रखना पडता है. अब थोडी देर तक मैने वाच
किया की उसने कोई हलचल नही की, तो मैने अपना हाथ आहिस्ता से उसकी उन्नत
घाटीयो की ओर खिसका दिया. अब मेरी बाहे उसके स्तन के निचले हिस्से को
छुने लगी. मेरी हालत तो बिलकुल मेरे बस मे नही थी. हर क्षण मै यही कोशिश
कर रहा था कि कही मे पागल होकर उस पर टुट नही पडूं. पर मैने अपना होश नही
खोया.

अब कुछ समय रुक कर मैने अपना बांया हाथ उसके उन्नत स्तन पर आहिस्ता से रख
दिया कि मेरी भुजाए उसके दोनो स्तनो को छु कर निकले और मेरे हाथ का पन्जा
उसके स्तनो के पार जैसे मै उसे सीट से नीचे गिर ना आये तो उसे सहारा देकर
पकडकर रखने के लिये रख दिया. फिर कुछ देर इन्तजार कर अपना दांया हाथ उसकी
चुत के उपर उसी प्रकार रख दिया. उसने कोई हलचल नही की. ऐसा लग रहा था कि
वह गहरी नींद मे है. अब बिल्कुल होले होले से मैने अपने बांए हाथ का दबाव
उसके स्तनो पर बढाना शुरु कर दिया. अब तो मुझे मेरे हाथ व उसके स्तनो के
बीच आ रही शाल बहुत खटकने लगी. अब मैने भी अपनी शाल निकालकर अपने शरीर पर
इस प्रकार डाल ली की मेरे दोनो हाथ उसने छुप जाये. अब मेने अपना हाथ
आहिस्ता से उसकी शाल मे मे से निकाल कर फिर से उसके स्तनो पर रख दिया.
उसने सोते समय अपना वुलन पुलोवर निकाल दिया था, अब मेरे पन्जे और उसके
स्तनो के बीच मात्र एक टाप ही था. अब मैने उन्हे उसके लो कट वाले टाप के
अंदर डाले, तो मेरा पहला स्पर्श उसकी सिल्की ब्रा का हुआ, पर इससे तो
मुझे सन्तुष्टी नही हुई. फिर मैने आहिस्ता से अपना हाथ उसकी स्तनो की
हाटीयो मे प्रविष्ट करा दिया. और आहिस्ता आहिस्ता उसके दोनो स्तनो पर
अपने हाथ घुमाने लगा. मै उसकी दुध की दोनो टोंटियो से खेलने लगा. अब मेरे
दिमाग ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया. मै बिलकुल कामातुर हो चुका था,
मै यह भुल चुका था की यदी क्रिस्टीना ने जागकर शोर मचा दिया तो पता नही
किस देश की जेल मे सजा काटना पडॅगी.

इतना करने के बाद मुझे लगा की क्रिस्टीना सोने का नाटक कर रही है,
क्योंकि मेरी उत्तेजीत करने वाली हरकत के बाद वह सो नही सकती थी, किन्तु
अब मेरे पास जानने का कोई साधन नही था की वह क्या सोच रही है. मै तो उसके
मौन को ही सहमती मान कर अपने हाथों को लगतार व्यस्त रखे हुए था. मुझे
उसके स्तनो तक पहूंचनो तक लगभग आधा घंटा लगा. हमारे इस्तन्बुल पहुचने मे
करीब साढे चार घंटे बाकी थे, किनु मेरे पास ढाई घंटे ही बाकी थे,
क्योंकि गन्तव्य पर पहुंचने के पहले सभी यात्रीयो को एक बार सुबह का
नाश्ता सर्व होना था. अब मैने क्रिस्टीना के स्तनो के साथ उसकी चुत को भी
मसलना चाहता था. अब मैने आहिस्ता से से उसकी टाइट जीन्स का बटन व चेन
खोल कर उसकी मखमली पेंटी पर हाथ रख दिया. और कोई प्रतिक्रिया नही देखकर
फिर अंदर चुत को सहलाने के लिये हाथ बढाया, तो मेरा हाथ एक छोटी सी कान
की बाली जैसे आभुषण से टकराया, तो क्रिस्टीना जी ने नये चल रहे फैशन के
अनुसार अपनी चुत को सजाने के लिये एक बाली पहन रखी थी. बहुत ही मादक
स्पर्ष था. फिर मैने झांटो की उम्मीद मे हाथ नीचे सहलाया, तो मै नाउम्मीद
नही हुआ, बिल्कुल छोटी मखमली झांटो को सहलाने का लुत्फ उठाने लगा. अब लगा
मेरे दोनो हाथों मे जन्नत है. मेरा बांया हाथ तो उसके वक्षो से खेल रहा
था, और दांया हाथ उसके चुत क्षेत्र के सभी जगहो का भ्रमण कर रहा था.

अब मुझे यह तो कम्फर्म हो चुका था कि वह नींद मे नही है, तो मैने होले से
उसके भग्नासा के दाने को सहालाकर उत्तेजीत करने की कोशिश करने लगा. पर
पढ्ढी वह भी आंखे मिचकर पडी हुई थी. मैने सोचा अब यह गर्म है तो समय भी
तो तेजी खिसका जा रहा है. इसके लिये दुसरा उपाय करना होगा. इधर उसका सिर
मेरे लंड के उपर रखा पडा तो, लंड भी दर्द करना लगा था. अब मैने अपनी पेंट
खोलकर उसमे से लंड आजाद कर इस तरह से उसके दाये गाल के पास सटा दिया, अब
तक उसमे से चिपचिपाहट भी निकल रही थी जो उसके गाल को टच कर रही थी. अब
दुबारा मैने अपने दोनो हाथो को व्यस्त रखते हुए, उसकी चुत मे अपनी उंगली
प्रविष्ट कराई तो देखा वहां गीला गीला सा था. मतलब वह गर्म हो चुकी थी.
स्तन मर्दन के साथ,जैसे ऐसे मैने उंगली चुत मे अंदर बाहर करनी शुरु की तो
क्रिस्टीना छटपटाने लगी और उसने अपनी नींद का ड्रामा छोडा और मेरी तरफ
करवट बदलकर मेरे ळंड पर हाथ फिराने के बाद उसे अपने मुंह मै ले लिया. मै
तो अपने होश हवास खो चुका था, वह भी पागलो की तरह लंड मुंह मे अंदर बाहर
कर रही थी. उधर मै भी उसे अपने दोनो हाथो से बराबर उसे उत्तेजीत कर रहा
था.

मैने विमान मे अपने चारो तरफ देखा, सभी यात्री आराम से सोए हुए थे, और
सम्पुर्ण अंधेरा भी था, तो कोई डर नही था की कोई देख लेगा. हम दोनो किसी
भी किस्म की आवाज नही निकाल रहे थे, क्योकि कोई भी जाग सकता था. अब
क्रिस्टीना की लगातार मेहनत के १० मिनट के कारण मेरा लंड स्खलीत होने की
कगार पर पहुंच गया, तो मैने उसे हाथ के इशारे से समझाने की कोशिश की, पर
वह अनसुनी कर दी तो मैं भी क्या करता, मैने भी वीर्य का फव्वारा उसके
मुंह मे छोड दिया. उसने भी हिम्मत दिखाते हुए पुरा का पुरा मुंह मे गटक
लिया. अब मै तो खाली हो गया, किन्तु उसकी उत्तेजना शांत नही हुई थी, वह
मेरे निर्जीव पडे लंड को खडा करने के लिये कोशिश करने लगी. मात्र पांच
मिनट मे ही हम दोनो सफल हो गये. मेरा लंड फिर कडक होकर फुंफकारने लगा.

अब क्रिस्टीना उठी और अपनी पेंट की चेन लगाते हुए, उसने अपने पीछे आने का
इशारा किया. हम वैसे भी विमान के आखिरी हिस्से मै बैठे तो, टायलेट वहां
से नजदीक ही थे. पहले वह अंदर घुसी, फिर उसके दो मिनट बाद में भी अंदर
पहुंच गया, अंदर जाकर दरवाजा लगा लिया. हम दोनो कामातुर होकर एक दुसरे के
गले लग गये, फिर एक दुसरे के शरीर को सहलाने लगे. विमान के टायलेट बहुत
छोटे होते है, पर उसी मे काम चालाना था. मैने उसे पेंट और टाप से आजाद
कराया, अब वह वायलेट कलर की लिंगेरी मे मेरे सामने खडी थी और इतनी मादक
लग रही थी की उसे शब्दो मे बयान करना बहुत मुश्किल था. उस पर मेच करते
हुए लकर की लिपस्टीक और नेल पालिश, ऐसा लग रहा था, की ऐसे कोई दुसरी
मेनका खडी हो, जो किसी भी विश्वामित्र की तपस्या भंग कर दे. अब उसने भी
देर ना करते हुए मुझे भी नंगा कर दिया. हम दोनो पागलॉ की तरह लिपट गये और
एक दुसरे के शरीर को टटोल कर का आनंद लेने लग गये.

अब मैने उसकी लिंगेरी आजाद कर दी, और पेंटी भी उतार दी, अब उसके व मेरे
बीच मे कोई नही था. मै अब लेट्रीन शीट का ढक्कन लगा कर बैठ गया, वह मेरी
गोद मे दोनो टांगे बाहर की ओर निकालकर इस प्रकार बैठ गयी की उसकी चुत
मेरे लंड को स्पर्श करने लगे. फिर हौले हौले शुरु हुआ दुनिया का सबसा
पहला खेल, जिसे पलंग पोलो के नाम से भी जाना जाता है. पर आज हम दोनो ने
उसे टायलेट पोलो के नाम से जमीन से लगभग ३५,००० फीट की ऊंचाई पर खेलना
शुरु कर दिया था. वह मेरे सीने से लग कर बैठी थी, नीचे चुदाई चालु थी, वह
भी हिलकर अपने शरीर को उपर नीचे होकर पुर्ण सहयोग कर रही थी. फिर मैने
बारी बारी से उसको दोनो स्तनो पर अपनी जीभ फिराने लगा. उसके बाद मैने
उसकी गर्दन की दोनो तरफ कामुकता बढाने वाली नस के साथ उसके कान की लोम, व
आंखो की भोहो पर भी अपनी जीभ फिरायी. वह मदमस्त होकर पागल हो उठी. दोनो
की सांसे एक दुसरे मे विलीन हो रही थी. यदि हम किसी कमरे मे होते तो
पागलपन मे इतनी आवाजे निकालते, पर जगह और समय का ध्यान रखते हुए बिलकुल
खामोश रहने की कोशिश करते रहे रहे. अब इस मदहोश करने वाली अनवरत चुदाई को
लगभग पोन घंटा हो चुका था. अब एक ही आसन मे चोदते हुए थकान होने लगी थी,
तभी क्रिस्टीना ने अपनी गती बढा दी और कुछ ही क्षण मे हांफते हुऍ चरम
सीमा पर पहुंच गयी. फिर वह पस्त होकर मेरी बाहों मे थक कर लेट गयी. मै तो
अभी तक भरा बैठा था, मैने कुछ समय रुककर इशारा किया की अब मै भी पिचकारी
छोडना चाहता हुं. तो उसने कहा रुको, वह मेरी गोद मे से खडी हुई और, बेसीन
पर हाथ और सिर रखकर झुककर खडी हो गयी. मैने भी पीछे से उसकी चुत मे लंड
पेल दिया, और अपने दोनो हाथो से उसके उन्न्त स्तनो को मसलते हुए, उसे
चोदने लगा, फिर जन्नत की यात्रा शुरु हुई. फिर मदमस्त होकर वह भी आगे
पिछे होकर मेरे सहयोग करने लगी. हम दोनो ने अपनी गती और बढा दी और लगभग
दस मिनट बाद मेरी पिचकारी छुट गयी. हम दोनो पस्त हो गये.

फिर मैने घडी देखी, हमे टायलेट मे घुसे अब लगभग एक घंटा हो चुका था,
मैने उसे इशारा किया की अब हमे जल्दी बाहर निकलना चाहिये. सबसे पहले मै
बाहर निकला और वह कुछ समय रुक कर सफाई कर अपनी सीट पर आ गयी. भगवान का
लाख लाख शुक्र था की सब अभी तक सोए हुए थे, और किसी को भी इस चुदाई के
बारे मे शक नही हुआ. क्रिस्टीना मुझसे चिपक कर लेट गयी. पुर्ण सन्नाटा
होने के कारण हम मुंह से कोई शब्द नही निकाल पा रहे, किन्तु उसके होठॉ
मेरे होठो से मिलकर को बहुत कह रहे थे. मैने अपनी जिंदगी मे कई लडकियो को
चोदा था, लेकिन क्रिस्टीना की चुदाई का अभुतपुर्व अनुभव शब्दो मे लिखना
बहुत मुश्किल है.

अब हमारे गंतव्य स्थल पर पहूचने मे लगभग डेढ घंटे बाकी थे, विमान की
बत्तिया जलना शुरु हो चुकी थी. यात्री जाग चुके थे. एयर होस्टेस ने
नाश्ता सर्व कर दिया था. ऐसा कतई नही लग रहा था कि हम विगत आठ घंटो से
साथ थे, ऐसा लग रह था कि हमे मिले मात्र आठ मिनट ही हुए थे. अंततः वह
निष्ठुर क्षण भी आ ही गया जब हमारा विमान इस्तन्बुल के अतातुर्क एयर
पोर्ट पर उतर चुका था. मुझे तो यहां दो दिन रुक कर फिर बर्लिन जाना था,
पर क्रिस्टिना को तो मात्र तीन घंटे बाद ही अगली फ्लाइट से पेरिस जाना
था. हम दोनो एक दुसरे का हाथ पकडे एयर विमान से उतरे. हम दोनो ने निश्चय
किया की अभी मै अपनी होटल नही आकर, कुछ वक्त और क्रिस्टीना के साथ एयर
पोर्ट पर बिताउंगा, फिर उसके प्लेन के समय उसे गुड बाय कह कर ही जाऊंगा.
अब एअर पोर्ट पर ही बने एक रेस्टोरेंट मे एक दुसरे के हाथ मे हाथ डाले
निस्तेज चुपचाप बैठे रहे. हम दोनो मे से कोई भी बिछुडने के लिये तैयार
नही था.

इस घटना को लगभग तीन वर्ष बीत चुके है, लेकिन यह भी मेरे मन मस्तिष्क पर
एक चलचित्र की तरह स्पष्ट अंकीत है. हालांकी क्रिस्टीना ने उस दिन अंतिम
समय पर अपना निर्णय बदला और वह दो दिन मेरे साथ इस्तन्बुल मे ही रुकी, और
फिर उसके पास मै अगले साल मै पेरिस भी गया. वह आज भी मेरी बहुत अछ्छी
दोस्त है. क्रिस्टीना ने मुझे बाडी मसाज सिखलाई, और बदले मे मैने उसे और
उसके मित्रों को योग और सम्भोग (कामशास्त्र) की क्लास लगाकर विभिन्न आसन
सिखलाये. वह भी एक अद्वितीय अनुभव था. मेरी इस इस्तन्बुल व पेरिस यात्रा
के संसमरण तो फिर कभी. फिलहाल तो मै आप लोगो के पत्र का इन्तजार करुंगा,
कृपया मुझे यह बतलाने का कष्ट करें की मेरा यह जीवन का यह अनोखा अनुभव
आपको कैसा लगा. कृपया मुझसे vikky0099 at gmail (dot) com पर मेल कर बतलाए,
ताकी मेरी हिम्मत अपने अगले संस्मरण लिखने की हो.

हां, एक बात और, इस वर्ष क्रिस्टीना का हिन्दुस्तान आने का प्लान है.
चुंकी वह एक बहुत अच्छी आर्टिस्ट है, तो वह कामसुत्र को माडर्न जमाने के
हिसाब लिख कर, उसके लिये सभी आसनो की पेंटीग बनाना चाहती है. हमने इस
हेतु हिमालय पर जाने का विचार किया है, ताकि खुबसुरत वादियों मे इस कार्य
को किया जा सके. इसके लिये हमे एक महिला साथी की भी जरुरत होगी. यदि आप
इस खुबसुरत यात्रा मे हमारे साथ चलने की इच्छुक हों, तो आपके हिमालय की
यात्रा का पुर्ण इंतजाम क्रिस्टीना की तरफ से होगा. कृपया मुझसे
vikky0099 at gmail (dot) com पर सम्पर्क करें. मै आपको विश्व्वास दिलाता हुं
कि आपका यह सफर जिंदगी भर के लिये यादगार होगा.

आपके इन्तजार मे आपका दोस्त

विक्की

No comments:

Post a Comment

maa bete ki chudai

  Choro Ne Mujhse Meri Maa Ki Chudai Karwai Hindi Sex Story Hi dosto mera name Sunil age 19 years hai Mari ma ka name vaishali hai age 38 ha...